Jasprit Bumrah: भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) में पिछले करीब 11 महीनों में एक बड़ा ही खालीपन नजर आ रहा था। टीम इंडिया (Team India) ने इस दौरान कईं बाइलेट्रल सीरीज खेली, तो साथ ही कुछ बड़े टूर्नामेंट भी खेले, लेकिन इसमें एक जगह का खालीपन साफ तौर पर महसूस किया जा रहा था, वह थे.. जसप्रीत बुमराह(Jasprit Bumrah)… भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे बड़े मैच विनर के रूप में स्थापित हो चुके जसप्रीत बुमराह अपनी साइड स्ट्रेस की चोट के चलते लंबे समय से टीम इंडिया से दूर चल रहे थे। आखिरकार उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ सीरीज मं वापसी कर ली है।
वापसी के बाद बुमराह का बदला-बदला बॉलिंग एक्शन
जसप्रीत बुमराह अपनी इस चोट के चलते टीम इंडिया की नीली जर्सी को 10 महीनें 23 दिन बाद पहन सके। बुमराह से फैंस को पहले जैसी की लय का इंतजार था, और उन्होंने शुरुआत भी कुछ उसी अंदाज में की है। बुमराह की गेंदबाजी की धार में तो कोई बदलाव नहीं दिखा, लेकिन यहां एक चीज बदल गई वो है उनका बॉलिंग एक्शन…जिसमें बुमराह के गेंद फेंकनें के तरीके में बहुत कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है।
बुमराह के बदले रनअप को लेकर एनसीए कोच ने किया खुलासा
आयरलैंड सीरीज में भारत की कप्तानी कर रहे इस स्टार तेज गेंदबाज ने अपनी बॉलिंग एक्शन में बदलाव क्यों किया, ये शायद ही आप जानते होंगे, लेकिन इसी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया गया है, जहां एनसीए (NCA) में एक कोच ने गोपनीयता की शर्त पर इसका खुलासा किया है। जिसमें इस कोच ने बताया कि चोट से बचने के लिए बुमराह ने ये तरीका अपनाया है।
चोट से बचने के लिए किया गया है सुधार
उन्होंने कहा कि, “उनके (बुमराह) स्ट्रेस फ्रैक्चर से पहले अगर आप बुमराह के गेंदबाजी वीडियो को करीब से देखेंगे, तो वह पहले छह से सात कदम तेजी से चलते थे और फिर अपने सातवें कदम पर गेंदबाजी क्रीज के पास पहुंच कर गेंद फेंकते थे। आयरलैंड के खिलाफ यह देखा गया कि उन्होंने अपने रन-अप को दो-तीन कदम बढ़ दिया। रन-अप के साथ उन्होंने अपने फॉलो-थ्रू को भी बढ़ाया है। उन्होंने गेंदबाजी एक्शन में ज्यादा बदलाव नहीं किया है लेकिन खुद को लंबे समय तक चोट से बचाने के लिए मामूली सुधार किया है।“
रनअप बढ़ाने से कंधे और पीठ पर नहीं पड़ेगा ज्यादा जोर
इसके बाद इस कोच से बुमराह के रनिंग का बढ़ाने का सवाल किया तो उन्होंने आगे कहा कि, “गति बढ़ाने के लिए गेंदबाजों को इसकी जरूरत होती है। बुमराह पहले फाइटर प्लेन की तरह थे। छोटे रनअप से भी अपनी गति हासिल कर लेते थे। इससे हालांकि उनके कंधे और पीठ पर बहुत जोर पड़ता था। उन्हें अपने रन-अप से कोई गति नहीं मिलती थी। ऐसे में उनका चोटिल होना लाजमी था।“
“चोट से उबरने के बाद मुझे लगता है कि उसने अपने रन-अप को दो-तीन कदम अधिक किया है। उसने अपने फॉलो-थ्रू को भी बढ़ाया है जिससे पीठ पर ज्यादा जोर ना पड़े। मुझे लगता है कि भविष्य में यह उन्हें चोटिल होने से बचाएगा।“