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HAPPY BIRTHDAY VIRAT: जब घर में पड़ा था पिता का शव, लेकिन पहले पहुंचे अपनी टीम को हार से बचाने, फिर लौटे अंतिम संस्कार में, जानें क्या है पूरी कहानी

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क्रिकेट जगत में हर दिन किसी ना किसी क्रिकेटर का जन्मदिन होता है, लेकिन कुछ ऐसे क्रिकेटर्स होते हैं जिनका बर्थडे उनके फैंस ही क्या कोई भी क्रिकेट प्रेमी नहीं भूल सकता। ऐसे ही खिलाड़ियों में से एक क्रिकेट गलियारों में मौजूदा दौर की सबसे बड़ी रन मशीन माने जाने वाले विराट कोहली का भी जन्मदिन काफी स्पेशल होता है।

KOHLI
KOHLI (Source_Legit.ng)

विराट कोहली ने पूरे किए अपने जीवन के 34 बरस

विश्व क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में गिने जाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज खिलाड़ी विराट कोहली ने आज यानी शनिवार, 6 नवंबर को अपने जीवन  34 बरस पूरे कर लिए हैं। वो अपना ये जन्मदिन मना रहे हैं, जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप खेलने में व्यस्त हैं।

Virat Kohli(Source_TheIndian Express)

विराट कोहली का जन्म 5 नवंबर 1988 को दिल्ली में हुआ। प्रेम कोहली और सरोज कोहली के घर जन्म लेने वाला ये चीकू आज पूरे विश्व क्रिकेट का आंखों का तारा बन चुका है, जिसने अपने करियर के 14 साल के सफर में ना जाने कितने ही कीर्तिमान को स्थापित किया है।

14 साल के इंटरनेशनल करियर में कीर्तिमानों का लगाया है अंबार

साल 2008 में भारतीय टीम में एन्ट्री करने के बाद इस बल्लेबाज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और साल दर साल लगातार अपने खेल में ऐसा निखार लाए कि आज उनकी गिनती सर्वकालिन महानतम बल्लेबाजों में से की जाती है। दिल्ली के इस दिलेर खिलाड़ी की कहानी-किस्से हर कोई जानता है, क्योंकि कई बार या तो उनके करीबी, या उनके कोच ने इन कहानियों को साझा किया है।

किंग कोहली हैं त्याग और बलिदान की मिसाल

लेकिन एक ऐसी कहानी आईसीसी क्रिकेट शेड्यूल आपके सामने एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रहा है, जिसके बाद आपको भी अंदाजा हो जाएगा कि कोहली ने ये इतना बड़ा मुकाम ऐसे ही हासिल नहीं किया है, बल्कि इसके लिए उन्होंने जो त्याग दिया है वो वाकई में हर किसी के लिए प्रेरणा होगा।

घर में पड़ा था पिता का शव, पहले टीम को बचाया हार से फिर पहुंचे अंतिम संस्कार में

कोहली आज क्रिकेट जगत में इतने विराट ऐसे ही नहीं बने हैं, बल्कि इसके पीछे उनका त्याग और बलिदान रहा है, जिसमें उनके सबसे बड़े रोल मॉडल पिता का शव घर में पड़ा होने के बाद भी पहले उन्होंने अपनी टीम को हार से बचाया जिसके बाद वो अपने पिता के अंतिम संस्कार में पहुंचें। अब पूरी कहानी यहां आपके सामने साझा करते हैं।

Virat Kohli (Source_Mens XP)

18  दिसंबर 2006, ये वो दिन था जब अंधेरा ढलते-ढलते विराट के पिता प्रेम कोहली ने अंतिम सांस ली। इस समय कोहली दिल्ली की रणजी टीम के लिए पहली बार खेल रहे थे, पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद वो घर पहुंचे और उन्होंने अपनी आंखों के सामने पिता को अंतिम सांस लेते हुए देखा। पूरा घर-परिवार रिश्तेदार का रो-रो कर बुरा हाल था, हर कोई इस असमय मृत्यु के कारण बहुत ही फूट-फूट कर रो रहा था, लेकिन वहीं चीकू बिल्कुल मायूस से खड़े थे, लेकिन उनकी आंख से आंसू ही नहीं निकल पा रहे थे।

मतलब उनके पिता के निधन से इतना गहरा धक्का लगा कि वो रो तक नहीं पा रहे थे। बेसुध से एक कोने में खड़ा ये 17-18 साल का ये बच्चा अपने पिता के सपने को पूरा करने के बारे में सोच रहा था, लेकिन इस बात से दुखी था कि उनके सपने को सच होते देखने के लिए उनके पिता उनके साथ नहीं होंगे।

हिंदू रिति-रिवाज के अनुसार रात में अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। ऐसे में 19 दिसंबर को पिता की अंत्येष्टी की जानी थी, वहीं दिल्ली की टीम कर्नाटक के खिलाफ मैच में फंसी हुई थी। ये वो दिन था जब ये स्टार क्रिकेटर पूरी तरह से टूट चुका था। एक बार तो मन बना लिया कि वो रणजी मैच के लिए नहीं जाएंगे, लेकिन मन में ये भी बात थी कि पिता ने उन्हें टीम इंडिया के लिए खेलने का सपना देखा था, जिसे पूरा करने के लिए ये मैच खेलना जरूरी था। उस समय खुद कोहली नाबाद लौटे थे।

कर्नाटक टीम के 446 रनों के जवाब में दिल्ली ने दूसरे दिन के खेल के खत्म होने तक 103 रन पर 5 विकेट गंवा दिए थे। उस समय कोहली 40 रन बनाकर क्रीज पर मौजूद थे। अगले दिन उनकी टीम को उनकी काफी जरूरत थी। फिर क्या था अगले ही दिन पिता का शव तो घर में पड़ा था, लेकिन अपनी टीम दिल्ली को बचाने के लिए कोहली फिर से फिरोजशाह कोटला पहुंचे। उन्होंने 238 गेंद में 90 रनों की शानदार पारी खेल दिल्ली को फॉलोऑन से बचाया। जिसके बाद ये 4 दिवसीय मैच ड्रॉ के रूप में तब्दिल हो गया। जिसके बाद वो घर पहुंचे और अंतिम संस्कार में शामिल हुए। अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए पूरी तरह से टूट जाने के बाद भी अपनी रणजी टीम को तवज्जो दिया, जो किसी भी युवा क्रिकेटर के लिए एक प्रेरणा हो सकता है।