
कोलकाता की पिच पर सवाल: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच कोलकाता टेस्ट मैच सिर्फ ढाई दिन में खत्म हो जाने के बाद पिच की क्वालिटी पर बड़ा विवाद शुरू हो गया है।
भारत 124 रनों के आसान से लक्ष्य का पीछा करने में नाकाम रहा और दूसरी पारी में सिर्फ 93 रनों पर ढेर हो गया, जिसके बाद पूर्व भारतीय सिलेक्टर कृष्णामाचारी श्रीकांत ने कप्तान गौतम गंभीर के पोस्ट-मैच बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
जहाँ ईडन गार्डन्स की पिच को दुनियाभर के क्रिकेट फैंस और विशेषज्ञों द्वारा आलोचना मिली, वहीं गौतम गंभीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “यही पिच हमने मांगी थी, इसमें कोई समस्या नहीं है, बल्लेबाज़ों को अपनी तकनीक बेहतर करनी होगी।”
लेकिन श्रीकांत ने गंभीर की इस बात को “अवास्तविक, गैर-व्यावहारिक और खिलाड़ियों पर अनुचित दबाव” बताकर सवाल उठाए।
“ऐसी पिच पर कोई कैसे खेल सकता है?” – श्रीकांत का तर्क
श्रीकांत ने अपने यूट्यूब चैनल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसी विकेट पर बल्लेबाज़ों को दोष देना अन्यायपूर्ण और बेबुनियाद है। उन्होंने कहा:
“गंभीर कहते हैं कि पिच में कोई डेमन नहीं है, और बल्लेबाज़ों को तकनीक दिखानी चाहिए। लेकिन सवाल ये है कि ऐसी विकेट पर तकनीक कहाँ दिखेगी? इतने सारे बल्लेबाज़ डिफेंस कर रहे थे और slip या LBW में आउट हो रहे थे। अगर सबको ही दिक्कत हो रही है तो इसे अच्छी पिच कैसे कहा जा सकता है?”
श्रीकांत ने यह भी कहा कि दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाज़ी लाइन-अप आज के समय में दुनिया की सबसे मजबूत नहीं है, इसके बावजूद सिर्फ तेम्बा बावुमा ही रन जुटा सके, जो यह साबित करता है कि समस्या बल्लेबाज़ों में नहीं बल्कि पिच की तैयारी में है।
भारत की घरेलू टेस्ट परफॉर्मेंस पर भी सवाल
गंभीर को लेकर श्रीकांत यहीं नहीं रुके, उन्होंने घरेलू टेस्ट क्रिकेट के रिकॉर्ड पर भी चिंता व्यक्त की:
- पिछले 6 घरेलू टेस्ट में भारत को 4 हारें मिलीं
- टीम को फुल-स्ट्रेंथ स्क्वॉड के बावजूद हार का सामना करना पड़ा
- पिच कंडीशनिंग और प्लानिंग को बताया गया मुख्य कारण
उन्होंने कहा कि भारत के पास विश्वस्तरीय बल्लेबाज़, स्पिनर और ऑलराउंडर हैं, लेकिन फिर भी यदि टीम लगातार ऐसी पिचों के कारण मैच गंवा रही है, तो यह रणनीति और प्लानिंग की गंभीर विफलता को दर्शाता है।
क्या “रैंक-टर्नर” रणनीति गलत हो चुकी है?
भारतीय उपमहाद्वीप में स्पिनिंग ट्रैक्स पर खेलना भारत की परंपरागत और ऐतिहासिक ताकत रही है। लेकिन आधुनिक दौर में:
- DCSA, AUS, ENG जैसी टीमें स्पिनर्स के लिए बेहतर तैयार हैं
- रिव्यू और DRS तकनीक के कारण बैटिंग एप्रोच बदला है
- स्पिन-फेवर्ड विकेट का अति-उपयोग उल्टा प्रभाव डाल सकता है
श्रीकांत ने चेतावनी दी कि ओवर-स्पिनिंग पिच बनाने की रणनीति भविष्य में भारत के ही खिलाफ काम कर सकती है, और यह मानसिक दबाव भी पैदा करती है।

गौतम गंभीर के बयान का विवादित पहलू
गंभीर का बयान था:
“यह वही विकेट था जो हमने मांगा था, इसमें कोई समस्या नहीं। तकनीक में सुधार की जरूरत है।”
इसी पर श्रीकांत ने जवाब देते हुए कहा:
“अगर दोनों टीमें संघर्ष कर रही हैं और कोई रन नहीं बना पा रहा, तो यह अच्छी पिच नहीं हो सकती। आप इसे तकनीक का मसला नहीं बता सकते।”
टेस्ट क्रिकेट की प्रतिष्ठा भी दांव पर?
विश्व क्रिकेट में टेस्ट को सबसे कठिन, धैर्यपूर्ण और तकनीकी प्रारूप माना जाता है। लेकिन यदि मैच:
- दो-ढाई दिन में खत्म होने लगें
- सिर्फ गेंदबाज़ी-केंद्रित हो जाएँ
- बल्लेबाज़ी को असंभव बना दें
तो यह टेस्ट की बैलेंस्ड स्पिरिट को प्रभावित कर सकता है। दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड 5-दिवसीय प्रतिस्पर्धी मुकाबले को बढ़ावा दे रहे हैं, ऐसे में भारत को भी उचित पिच प्रबंधन पर ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष: सुधार की जरूरत, दोषारोपण नहीं
श्रीकांत की नाराजगी का मुख्य बिंदु यह था कि:
- गलत रणनीति + खराब विकेट = अनावश्यक आलोचना
- बल्लेबाज़ों पर दोष डालना अनुचित
- पिच निर्माण में पारदर्शिता और योजना जरूरी
यह बहस सिर्फ एक मैच की हार नहीं बल्कि भारतीय टेस्ट क्रिकेट की भविष्य रणनीति से जुड़ी है। अब देखना यह है कि आगामी गुवाहाटी टेस्ट (22 नवंबर) में टीम मैनेजमेंट किस तरह की पिच तैयार करता है
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कोलकाता टेस्ट पिच को लेकर विवाद क्यों हुआ?
क्योंकि मैच ढाई दिन में समाप्त हो गया और दोनों टीमों के बल्लेबाज़ रन बनाने में संघर्ष करते दिखे, जिससे विकेट की गुणवत्ता पर सवाल उठे।
गौतम गंभीर ने पिच का बचाव क्यों किया?
गंभीर ने कहा कि टीम ने यही विकेट मांगी थी और यह बल्लेबाज़ों की तकनीक की कमी का नतीजा है, न कि पिच की समस्या।
कृष्णा श्रीकांत ने गंभीर के बयान का विरोध क्यों किया?
श्रीकांत का मानना है कि ऐसी पिच पर बल्लेबाज़ी असंभव होती है और खिलाड़ियों को दोष देना अनुचित है।
अगला टेस्ट मैच कब और कहाँ होगा?
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच अगला टेस्ट मैच गुवाहाटी में 22 नवंबर से खेला जाएगा।
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