IND vs WI Second Test: कोटला की सुस्त पिच पर कैंपबेल और होप ने भारत को रोका

IND vs WI Second Test: कुछ चीज़ें समय के साथ बदलती नहीं—जैसे प्रकृति के नियम, समय का प्रवाह… और अब शायद फिरोजशाह कोटला की पिच का सोपोरिफिक (नींद दिलाने वाला) असर भी उसी सूची में जोड़ना होगा।

काली मिट्टी हो या हरी घास, यह पिच अगर पूरी तरह सूखी और फटी न हो तो हमेशा की तरह धीमी, नीची और फीकी रहती है, जहां तेज़ गेंदबाज़ी हो या स्पिन—तीसरे दिन के बाद विकेट मिलना मुश्किल हो जाता है।

भारत की रणनीति पर उल्टा पड़ा फॉलो-ऑन का फैसला

IND vs WI
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भारत ने शायद जल्दी जीत की उम्मीद में वेस्टइंडीज़ पर फॉलो-ऑन लागू कर दिया। पहले ही 81.5 ओवर फील्डिंग और गेंदबाज़ी करने के बाद भारतीय आक्रमण थका हुआ था।

तीसरे दिन सुबह सिर्फ़ 38.5 ओवरों में विंडीज़ की पहली पारी समेटने के बाद लगा कि मैच जल्द खत्म होगा, लेकिन कोटला की पिच ने एक अलग ही कहानी लिख दी।

पिच की दो अलग तस्वीरें

  • नॉर्थ एंड से बॉलर को सामने दिखता है एक घिसा-पिटा, भूरा हिस्सा—जहाँ से कुशल स्पिनर्स जैसे कुलदीप यादव ने पांच विकेट (5/82) झटके।
  • साउथ एंड पर उल्टा नज़ारा—हल्का हरा, चौड़ाई में फैला ढीला आयताकार पैच, जहां गेंदबाज़ी करना उतना प्रभावी नहीं रहा।

तीसरे दिन की दोपहर होते-होते पिच ने अपनी “टिपिकल” सुस्ती पकड़ ली और उसी के साथ देखने को मिला आधुनिक टेस्ट क्रिकेट में एक दुर्लभ दृश्य—वेस्टइंडीज़ की दृढ़ बल्लेबाज़ी।

कैंपबेल और होप की जिद ने रोका भारत

कुलदीप यादव और जसप्रीत बुमराह जैसे आक्रमणकारी गेंदबाज़ों ने पूरी कोशिश की, लेकिन पिच ने थके भारत की योजनाओं को सुन्न कर दिया। जॉन कैंपबेल और शाई होप ने क्रीज़ पर डेरा डालकर मैच को चौथे दिन तक घसीट दिया।

  • दिन का अंत: वेस्टइंडीज़ 173/2
  • अब तक की सबसे बड़ी साझेदारी: 138 रन (नाबाद)
  • कैंपबेल: 87 रन*
  • होप: 66 रन*

यह छह टेस्ट और लगातार तीन सीरीज़ के बाद पहली बार हुआ जब वेस्टइंडीज़ चौथे दिन तक टिक पाई।

सुबह कुलदीप ने दिया झटका, फिर ढीली पड़ी पकड़

विंडीज़ ने अपनी पहली पारी 140/4 से शुरू की। बुमराह शुरुआत में खतरनाक थे, पर कुलदीप ने जादुई गेंद से होप को आउट कर लय पकड़ी। उन्होंने लगातार ओवरों में दो विकेट लेकर इमलैक और होप दोनों को चलता किया। लेकिन असली ठहराव यहीं से शुरू हुआ—

  • खैरी पियरे और एंडरसन फिलिप ने 57वें से 73वें ओवर तक साझेदारी कर भारत के लिए संकेत दिया कि पिच दम तोड़ रही है।
  • फिर भी भारत ने तुरंत फॉलो-ऑन कराया और बड़ी गलती यह रही कि कुलदीप और बुमराह को पुरानी गेंद के लिए बचाए रखा।
  • नतीजा: वॉशिंगटन सुंदर, रवींद्र जडेजा और मोहम्मद सिराज ने घंटों मेहनत की लेकिन विकेट लगभग सूख गए।

भारत जीत के करीब, लेकिन विंडीज़ ने सम्मान बचाया

दिन का अंत वैसे ही हुआ जैसे शुरुआत—भारत अब भी मैच जीतने की राह पर है। लेकिन वेस्टइंडीज़ के पास मौका है कि भारतीय बल्लेबाज़ों को दोबारा क्रीज़ पर बुलाए और थोड़ा अहंकार भी चोटिल करे।

कैंपबेल और होप की साझेदारी ने दिखा दिया कि अगर पिच का मिज़ाज सुस्त हो और गेंदबाज़ थके हुए हों तो किसी भी मैच में मोड़ आ सकता है। कोटला की यह पिच एक बार फिर “धीमी मौत” वाले अंदाज़ में खेल में रफ्तार की जगह जिद, धैर्य और टिकाव की परीक्षा लेती नज़र आई।

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