Mayank Yadav: मयंक यादव… इस वक्त वर्ल्ड क्रिकेट में 21 साल के इस छोरे के नाम की गूंज सुनाई दे रही है। हर गली-मोहल्लो में फैंस की जुबां पर चढ़ा ये नाम क्रिकेट एक्सपर्ट्स की जुबां पर भी छाया हुआ है। बिहार से नाता रखने वाले दिल्ली में जन्में 21 साल के मयंक यादव ने अपनी गेंदबाजी की रफ्तार से तहलका मचा दिया है। उनकी कहर बरपाती गेंदों से उन्होंने आईपीएल के इस सीजन के पहले 2 मैचों में ही वो पहचान बना ली है, जो कईं खिलाड़ियों को तो ऐसी पहचान बनाने में सालों लग जाते हैं।
मयंक यादव ने अपनी बॉलिंग स्पीड से वर्ल्ड क्रिकेट को किया हैरान
आईपीएल में लखनऊ सुपरजॉयंट्स की टीम से खेलने वाले मयंक यादव इस सीजन की सनसनी बन चुके हैं। उन्होंने पहले ही मैच में 150 से ज्यादा की रफ्तार से लगातार गेंद डाली और वर्ल्ड क्रिकेट को हैरान कर दिया। पहले मैच में 156 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को छूने वाले मयंक अगले मैच में एक कदम और आगे निकलें और 157 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद डालकर क्रिकेट पंडितों को सोचने पर मजबूत कर दिया कि भारत में भी लगातार इतनी रफ्तार से गेंद डालने वाला और वो भी एक्यूरेसी दिखाने वाला गेंदबाज हो सकता है।
बल्लेबाजों के लिए खौफ बने मयंक यादव
मयंक यादव अब किसी पहचान के मोहताज नहीं नहीं हैं। उन्होंने जिस तरह से आईपीएल के पहले 2 मैचों में गेंदबाजी की है, जैसी रफ्तार उन्होंने दिखायी है, उसके बाद हर जगह उनके नाम की चर्चा है। मयंक यादव को लखनऊ सुपरजॉयंट्स की टीम ने 2023 के ऑक्शन में केवल 20 लाख की बेस प्राइज में खरीदा था, लेकिन उस सीजन चोटिल होने की वजह से उन्हें बाहर होना पड़ा। इस बार लखनऊ ने उन्हें पहले मैच में मौका नहीं दिया, लेकिन जैसे ही मौका पाया इसके बाद बल्लेबाजों के लिए मयंक की स्पीड खौफ बन गई है।
मयंक के संघर्ष की कहानी, उनके माता-पिता की जुबानी
वर्ल्ड क्रिकेट के बड़े-बड़े दिग्गजों को अपना मुरिद बना देने वाले मयंक यादव की कहानी बहुत ही संघर्ष से भरी है। उनके बारे में उनके माता-पिता ने कुछ ऐसी बातें बतायी हैं, जो दुनिया पहली बार जानेगी। सबसे बड़ी बात मयंक एक कृष्ण भक्त हैं, उनकी भगवान कृष्णा में ऐसी आस्था जगी कि वो वैजिटेरियन बन गए। मयंक मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उनके पिता सुपौल से हैं, मयंक के जन्म के पहले पिता प्रभु यादव दिल्ली आ बसे और यहां पर वो दुरा इंडिया टोन प्राइवेट लिमिटेड नाम की सायरन बनाने वाले कंपनी चलाते हैं। मयंक को 7 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलने का शौक जगा और माता-पिता ने दिल्ली में उनके टैलेंट को देखते हुए उन्हें एकेडमी जॉइन करायी। तो चलिए जानते हैं मयंक की कहानी उनके माता-पिता की जुबानी….
मां ममता ने बताया, मयंक हैं कृष्ण भक्त
मयंक यादव की मां ममता यादव ने अपने बेटे की इस कामयाबी को लेकर कहा कि, “हम बेहद खुश हैं कि वो अच्छा कर रहा है और लोग उसके बारे में बात कर रहे हैं। वो एक टैलेंटेड क्रिकेटर है और लोगों को उसका और तगड़ा प्रदर्शन देखने को को मिलेगा। वो 2 साल पहले ही वेजिटेरियन बन गया था क्योंकि वो भगवान कृष्ण को बहुत ज्यादा मानता है। मुझे पूरी उम्मीद है कि वो एक दिन भारतीय टीम के लिए जरूर खेलेगा।“
पिता प्रभु ने कहा, एक वक्त था जब सड़कों पर खड़े होकर देखना पड़ता था मैच
इसके बाद इस 21 साल के स्पीड स्टार के पिता प्रभु यादव ने बात करते हुए कहा कि, “मयंक ने 7 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलनी शुरू कर दी थी। इसके बाद मैंने उनसे क्रिकेट एकेडमी में शामिल होने के लिए कहा और तब से उनके इस सफर की शुरुआत हो गई। ये मेरा सपना था जिसे अब वो जी रहा है। मुझे याद है जब मैं सड़कों पर खड़े होकर मैच देखा करता था। ऐसे में उसने काफी ज्यादा मेहनत की है। मुझे पूरी उम्मीद है कि वो आगे भी ऐसे ही मेहनत करता जाएगा और टीम इंडिया की जर्सी में नजर आएगा।“