करियर के डेब्यू टेस्ट की पहली दोनों पारियों में नहीं खुल सका खाता… फिर टीम से कर दिए बाहर। 2 साल बाद फिर से टीम में मिली जगह पहली पारी में शून्य और दूसरी पारी में 1 रन। टीम ने फिर से कर दिया बाहर…अब 18 महीनों बाद दोबारा मौका मिला… बल्ले से फिर नहीं निकल सका कोई रन…करियर के शुरुआती 3 टेस्ट मैचों की 6 पारी में 5 शून्य और 1 रन निकला। अब करीब 3 साल के लिए टीम से फिर कर दिया बाहर… जो अपने 6 साल के करियर में 6 पारी में केवल 1 रन बना सका। इसके बाद शायद करियर को ही खत्म माना जा सकता है।
करियर की शुरूआती 6 पारी में किए 5 शून्य, फिर बनाए 6 दोहरे शतक
लेकिन वो कहते हैं ना जहां चाह… वहां राह… एक बार फिर से इस खिलाड़ी ने अपनी नेशनल टीम में जगह बनायी और इसके बाद तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और इतिहास रच दिया। और अपना करियर खत्म होते-होते अपने देश के सबसे महानतम बल्लेबाजों में शुमार हो गए। जिनके बल्ले से भले ही पहले 6 साल में केवल 1 रन निकला, लेकिन बाद में बल्ले से 6 दोहरे शतक निकले।
श्रीलंका के मर्वन अट्टापट्टू की गजब की कहानी, बने श्रीलंका के महान बल्लेबाज
ये कहानी है श्रीलंका (Sri lanka) के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज मर्वन अट्टापट्टू (Marvan Atapattu) की… इस श्रीलंकाई क्रिकेटर का करियर बहुत ही उतार-चढ़ाव भरा रहा। जिन्हें अपने करियर की शुरुआत में जो निराशा हाथ लगी उसके बाद तो किसी ने नहीं सोचा था कि ये खिलाड़ी आने वाले कल का सुपरस्टार होगा। जिसके करियर के शुरुआती 6 साल के आंकड़ों को देखकर तो कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि ये महानता के शिखर तक पहुंचेगा।
पहला टेस्ट नहीं खुला खाता, अगले 2 टेस्ट केवल 1 रन
क्रिकेट के इस अजब खेल में मर्वन अट्टापट्टू की गजब की कहानी रही है। 23 नवंबर 1990 को भारत के खिलाफ टेस्ट करियर का आगाज किया। जहां ये बल्लेबाज अपने डेब्यू टेस्ट मैच की दोनों ही पारियों में खाता भी नहीं खोल सका। इसके बाद मर्वन अट्टापट्टू (Marvan Atapattu) को टीम से बाहर कर दिया और 1992 में फिर से मौका मिला। 17 अगस्त 1992 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अट्टापट्टू फिर से पहली पारी में शून्य और दूसरी पारी में 1 रन बनाकर चलते बने। इसके बाद इस खिलाड़ी को 8 फरवरी 1994 को तीसरा टेस्ट खेलने का अवसर मिला, यहां भारत के खिलाफ एक बार फिर से दोनों पारियों में डक के साथ निराश किया।
टेस्ट करियर के 7वें साल निकला पहला शतक
इसके बाद अट्टापट्टू को टीम से बाहर कर दिया। आखिरकार साल 1997 में उन्हें फिर से टीम में एन्ट्री मिली। 7 मार्च 1997 को न्यूजीलैंड के खिलाफ उनके बल्ले से दहाई का आकडां जरूर निकला लेकिन यहां भी 25 और 22 का स्कोर कर सके। इस पूरे साल अट्टापट्टू को मौके मिलते रहे लेकिन वो 0,25, 14, 4, 7, 10, 26, 19, 29 रन के स्कोर बना सके और यहां तक किसी ने भी नहीं सोचा था कि ये बल्लेबाज आगे कुछ खास करने वाला है। यहां से 19 नवंबर 1997 को भारत के खिलाफ अट्टापट्टू ने 108 रन की पारी खेली और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
करियर के 90 टेस्ट में बनें 16 शतक, जिसमें 6 दोहरे शतक
मर्वन अट्टापट्टू इसके बाद लगातार खेलते रहे और उन्होंने अपने टेस्ट करियर से लेकर वनडे करियर में चार चांद लगा दिए। इस खिलाड़ी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए अपने टेस्ट क्रिकेट करियर में 2007 तक जलवा दिखाया और कुल 90 टेस्ट मैच खेले। जिसमें उन्होंने करीब 40 की औसत से 5502 रन बनाए। अट्टापट्टू ने इस दौरान कुल 16 शतक लगाएं जिसमें 6 दोहरे शतक शुमार रहे। साथ ही 17 अर्धशतकीय पारियां खेली। वहीं वनडे करियर में 268 मैचों में 37.57 की औसत से 8529 रन बनाए। इसमें उन्होंने 11 शतकों के साथ 59 अर्धशतक लगाए।